वट सावित्री व्रत क्या है?
वट सावित्री व्रत हिंदू महिलाओं द्वारा पति की दीर्घायु और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के लिए रखा जाने वाला विशेष व्रत है। यह व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाया जाता है और इस दिन वट (बरगद) वृक्ष की पूजा की जाती है।
वट सावित्री व्रत 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
तिथि: 27 मई 2025 (मंगलवार)
अमावस्या प्रारंभ: 26 मई 2025 को रात्रि 11:30 बजे
अमावस्या समाप्त: 27 मई 2025 को रात्रि 09:00 बजे तक
वट सावित्री व्रत की पौराणिक कथा
इस व्रत का नाम सावित्री के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस ले लिए थे। सावित्री की निष्ठा और प्रेम को देखकर यमराज भी पिघल गए और उन्होंने सत्यवान को पुनः जीवनदान दिया। यह कथा नारी शक्ति, प्रेम और समर्पण की प्रतीक मानी जाती है।
वट सावित्री व्रत की विधि (Step-by-step)
1. स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें।
2. व्रत का संकल्प लें और निर्जल उपवास रखें।
3. वट वृक्ष के नीचे पीली चुनरी बिछाकर पूजा की थाली सजाएं।
4. व्रक्ष के तने पर कच्चा सूत (धागा) लपेटते हुए परिक्रमा करें।
5. सावित्री-सत्यवान की मूर्ति या चित्र के साथ पूजा करें।
6. व्रत कथा सुनें और 'ॐ नमः शिवाय' या 'ॐ यमाय नमः' मंत्र का जाप करें।
7. सुहाग सामग्री अर्पण करें: सिंदूर, चूड़ी, बिंदी, मेहंदी आदि।
वट सावित्री व्रत की पूजन सामग्री
* कच्चा सूत
* लाल/पीला कपड़ा
* रोली, चावल, फूल
* मिठाई व फल
* पानी का लोटा
* दीपक और अगरबत्ती
* सावित्री और सत्यवान की मूर्ति/फोटो
* पंखा (हाथ का), फल और मिष्ठान्न
वट सावित्री व्रत का महत्व
यह व्रत वैवाहिक जीवन को सुखमय और दीर्घ बनाता है।
स्त्रियों को मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति की अनुभूति होती है।
पौराणिक मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से स्त्रियों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है
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